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लेखनी कहानी प्रतियोगिता -03-Dec-2022 वृद्ध आश्रम हमारा अंतिम घर

शीर्षक-वृद्ध आश्रम हमारा अंतिम घर
विधा-कहानी
यह कहानी मालती और श्याम लाल जी की है।
मालती और श्याम लाल जी के एक बेटा था। यह तीनों एक गांव में रहते थे। श्याम लाल जी सब्जी बेचकर अपना का गुजारा करते थे। और अपने बच्चे के लिए पैसा इकट्ठा करते थे ताकि वह बड़ा होकर अच्छा बिजनेस में बने।
श्यामलाल बहुत ही मेहनत करता था जब बच्चा बड़ा हुआ उसे शहर भेज दिया। विनीत बहुत ही होशियार लड़का था वह शहर में अपनी मेहनत और लगन से पढ़ाई करता था। मेहनत और लगन से उसने 12वीं क्लास में टॉप किया था। जिसके कारण छात्रवृत्ति प्रदान की गई। और वह विदेश पढ़ने चला गया। वहीं पर अपनी शादी करके और जॉब करने लग गया।
कुछ दिनों के बाद
मालती और श्याम लाल अब बुजुर्ग हो गए थे।
मालती ने कहा देखो जी हमें अपने बेटे के पास जाना चाहिए। अब हमारी उम्र जवाब दे रही है हम कितना काम करेंगे। अब मेरे बस की बात नहीं है ना तुम्हारे बस की बात है कि तुम ₹2 कमा सको। श्यामलाल ने एक चिट्ठी लिखी और अपने बेटे को भेज दी। बेटे ने उसे अपने पास बुला लिया। 
1 महीने के बाद
लेकिन श्यामलाल और मालती के आने से दिन-रात झगड़ा होने लगा।
विनीत की पत्नी राशि कहने लगी मैं नहीं बना सकती इनका खाना-पीना। पूरा दिन काम में ही निकल जाता है थक जाती हूं।
आपको मम्मी पापा चाहिए या मैं दोनों में से डिसाइड कर लीजिए।

इस बात को सुनकर विनीत अपनी मम्मी पापा को वृद्ध आश्रम छोड़ आता है। हर रविवार को उनसे मिलने जाता है। 1 दिन उनका पोता राजीव भी जिद करने लगता है मुझे भी दादा दादी से मिलने जाना है।
विनीत राजीव को वृद्ध आश्रम ले जाता है। राजीव को देखकर दादा-दादी गले लगा लेते हैं। और आंखों से आंसू की धारा बहने लगती है और कहते हैं मेरा चांद तारा आ गया। राजीव भी रोने लगता है और कहता है आप भी हमारे साथ रहिए ना। दादा-दादी कहते हैं यही हमारा घर है हम कहीं नहीं जाएंगे हम यही रहेंगे।
और विनीत राजीव  वहां से चले जाते हैं।
राजीव अपने पापा से कहता है दादी आप हमारे साथ क्यों नहीं रहती। 
विनीत-जब हम बुजुर्ग हो जाते हैं तो वह हमारा अंतिम घर होता है।
इतने में राजीव और विनीत घर पहुंच जाते हैं। वह अपनी मम्मी से कहता है मम्मी जब आप बुजुर्ग हो जाएंगे तो आप ही वृद्ध आश्रम  में जाएंगी। पापा ने कहा था जब हम बुजुर्ग हो जाते हैं तो अंतिम घर वृद्धाश्रम होता है।
यह सुनकर राशि के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। और दूसरे दिन ही अपने सास-ससुर को घर ले आती है।और सभी साथ में रहने लगते।

शीर्षक-जो मां-बाप हमें बड़ा करते हैं पालते पोसते है का अंतिम घर वृद्धा आश्रम ना होकर अपना दिल में घर बनाइए।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा

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3 Comments

Vedshree

04-Dec-2022 02:08 PM

Behtarin rachana 👌

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Gunjan Kamal

03-Dec-2022 11:24 PM

प्रेरक कहानी

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Pranali shrivastava

03-Dec-2022 06:38 PM

👌👏🙏🏻

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